पिता दिवस जब भी आता है तब लोग अपने पिता को याद करते है, लेकिन अगर हर रोज को पिता दिवस माना जाए तो हर परिवार के लिए अच्छा है। कई स्कूल में पितृ दिवस पर निबंध और भाषण की या पिता का महत्व पर निबंध लिखने की प्रतियोगिता होती है। उस वक्त बच्चे अपने पिता के तरफ अपनी सारी भावनाएं उड़ेल देते है। आज मैं भी आपके लिए पितृ दिवस पर निबंध लेके आई हूँ।
पिता का महत्व पर निबंध :- पितृ दिवस पर निबंध और भाषण (Essay on Father in Hindi)
Essay on Father in Hindi | पिता का महत्व पर निबंध और भाषण
पिता का क्या महत्व है?
पिता का क्या महत्व है ये एक बहुत बड़ा सवाल है जिसका जवाब आपको इस पोस्ट में मिल जाएगा।
माता पिता बच्चे के जीवन के दो जरुरी स्तम्भ है। अगर माँ का लाड जरुरी है तो पिता का अनुशासन भी जरुरी है। बच्चे के लिए जितना महत्व माँ का है उतना ही पिता का भी है। माँ कई बार बच्चो को लाड में बिगाड़ देती है लेकिन पिता सख्त होकर उसे सही राह पर ले आता है।
पिता के बिना परिवार शुरू नही होता और पिता के बिना बच्चो का और माँ का जीवन मुश्किल भरा हो जाता है।
माँ अगर घर पर रहकर बच्चे का पालन पोषण करती है, उसे संभालती है तो पिता अपने बच्चे और परिवार के लालन पालन के लिए जरुरी धन कमाते है। सुबह से लेकर शाम तक अपने परिवार के लिए बहुत मेहनत करते है ताकि वो पैसा कमा सके और उनके परिवार को सभी सुख सुविधाएं मिलती रहे।
पिता अगर बच्चो से लाड नही करते तो इसका अर्थ ये बिलकुल नही वो बच्चो से प्यार नही करते या उन्हें बच्चो की कम चिंता है, लेकिन वो जानते है अगर वो भी माँ की तरह उन्हें सिर्फ प्यार करते रहेंगे और उन्हें गलतियाँ करने पर भी माफ़ कर देंगे तो उनके बच्चे बिगड़ जाएगे इसलिए बच्चो के जीवन में अनुशासन पिता लेकर आते है।
वो दिन रात काम करते है ताकि उनके बच्चो का भविष्य अच्छा हो, वो अच्छे स्कूल में पढ़े और उनकी सभी बुनयादी और ज़िदे पूरी हो।
जब बच्चे कुछ अच्छा काम करते है और उनका नाम होता है तो पिता की छाती फूलकर चौड़ी हो जाती है और उसे अपने बच्चे पर और अपनी परवरिश पर गर्व होने लगता है। पिता बच्चो के उज्जवल भविष्य के लिए एक सीढ़ी की तरह होते है जिसके सहारे बच्चे बुलंदियों को छू लेते है।
पिता से बच्चे कई अच्छी बाते सीखे है। वो उनसे मेहनत करना, उनकी तरह नाम कमाना और ईमानदारी से काम करना सीखते है। उनके सालो की मेहनत का नतीजा होता है कि बच्चे चरम सफलता को चूम पाते है।
बचपन में जब बच्चा चलते चलते थक जाता है तब पिता अपने बच्चे को कंधे पर बिठाकर घुमाते है। वो खुद थक जाते है लेकिन बच्चे को तकलीफ नही पहुचने देते है। बचपन में अपने बच्चे का घोडा बनकर उसे घुड़सवारी कराने में पिता बहुत ख़ुशी महसूस करता है। बच्चो के साथ समय बिताने के लिए सन्डे के सन्डे उन्हें घुमाकर पूरे हफ्ते की कमी पूरी कर देते है।
तीज त्योहारों पर पिता चाहे अपने लिए नए कपडा न खरीदे लेकिन अपने बच्चो को नए कपडे जरुर खरीदकर देते है ताकि उनके बच्चे अच्छे लेगे और नए कपडे पहनकर वो खुश हो जाए। उन्हें दिवाली पर अनगिनत पटाखे लाके देना भी पिता का मनपसंद काम होता है। वो पटाखे और फुलझड़ी जलाते हुए अपने बच्चो की उत्सुकता देख खुश हो जाते है, साथ ही उनके साथ पूरा समय रहकर उनकी रक्षा भी करते है। कह सकते है पिता बच्चे के हीरो होते है।
जिन बच्चो के पिता नही होते है वो कई बार असुरक्षित महसूस करते है और जब वो अपने पिता के साथ होते है तो उन्हें किसी बात का डर नही लगता है।
पिता की माली हालत ठीक न हो तो भी जब भी उसके बच्चे को किसी चीज की जरुरत होती है तो वो कही न कही से पैसो का इंतजाम करते है और उसे वो चीज लेकर देते है। उनके लिए उनके बच्चे की इच्छाओ का पूरा करना सबसे महत्वपूर्ण है।
पिता चाहे अपने बच्चे को जितना भी डांटे लेकिन अगर कोई उसके बच्चे को डांट दे या चोट पहुंचाएं तो वो सामने वाले से लड़ बैठता है। तब ये नही देखता कि जिससे वो लड़ रहा है वो उससे ताकतवर है या कमजोर, बस भिड जाता है।
जीवन के इतने महत्वपूर्ण शख्स, पिता का हमे हमेशा आदर करना चाहिए।
उम्मीद है आपको पिता का महत्व पर निबंध और भाषण आपके दिल को छू गया होगा।
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